Jun 062016
 

ऐ री सखी मोरे पिया घर आए भाग लगे इस आँगन को बल-बल जाऊँ मैं अपने पिया के, चरन लगायो निर्धन को। मैं तो खड़ी थी आस लगाए, मेंहदी कजरा माँग सजाए। देख सूरतिया अपने पिया की, हार गई मैं तन मन को। जिसका पिया संग बीते सावन, उस दुल्हन की रैन सुहागन। जिस सावन

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Jan 102014
 

तेरी चौखट पे आना मेरा काम था   तेरी चौखट पे आना मेरा काम था, उम्र भर वो तो मुझ से किया न गया | तेरी रहमत को क्यूँ कर मैं इल्ज़ाम दूँ, तुझ को बख़्शीश का मौका दिया न गया | मैंने सोचा था दर पे तेरे आऊंगा, फिर वहाँ से मैं उठ कर

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